इंटरनेट शटडाउन का मतलब है एक ही जगह इंटरनेट का बंद हो जाना या एक ही लोकेशन पर इंटरनेट को बंद कर देना। इसका उपयोग आमतौर पर दंगो के समय करा जाता है। ताकि लोग इंटरनेट के जरिए गलत सामग्री ना फेला सके।
इंटरनेट शटडाउन के सबसे ज्यादा मामले भारत मै होते है। 19 दिसंबर 2019 को भारत में 95वीं बार इंटरनेट शटडाउन हुआ। ये इंटरनेट शटडाउन नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन होने के बाद किया गया। यह इंटरनेट शटडाउन दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में करा गया। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च इंटरनेशनल इकोनॉमी रेलांसेस की रिपोर्ट बताती है कि 2012 से अब तक देश 367 बार इंटरनेट शटडाउन किया गया है वहीं 2018 में सबसे ज्यादा 134 बार इंटरनेट शटडाउन किया गया।
सबसे ज्यादा इंटरनेट शटडाउन के मामले जम्मू कश्मीर में।
2012 से अब तक इंटरनेट शटडाउन के 367 में से सबसे ज्यादा मामले जम्मू कश्मीर में हुए है जम्मू कश्मीर में 180 बार इंटरनेट शटडाउन किया गया है तथा दूसरे प्रदेशों जैसे राजस्थान में 67 बार, उत्तर प्रदेश में 20 बार, हरियाणा में 13 बार, बिहार में 11 बार तथा गुजरात में 11 बार इंटरनेट बंद रहा।
जनवरी 2012 से जनवरी 2019 तक 60 इंटरनेट शटडाउन इसे किए गए थे जो 24 घंटे से कम समय के लिए किए गए थे तथा 55 शटडाउन इसे भी थे जो लंबे समय 24 घंटे से 72 घंटे तक लागू थी और 39 शटडाउन 72 घंटे से भी ज्यादा समय के लिए लागू किए गए थे। 2012 से 2019 तक 16000 घंटो से ज्यादा समय के लिए इंटरनेट बंद रहा ।
अब तक का सबसे लंबा इंटरनेट शटडाउन कश्मीर में चल रहा है कश्मीर में 5 अगस्त 2019 को शटडाउन लागू कर गया था और इसे लागू हुए अबतक 136 दिन हो चुके है इसे अभी तक हटाया नहीं गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक देश के सभी राज्यो में साल 2012 से 2017 के बीच इंटरनेट बंद होने से लगभग 21 हजार करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। राज्यो में सबसे ज्यादा नुकसान गुजरात को लगभग 118 लाख डॉलर का नुकसान हुआ तथा जम्मू कश्मीर में 61 लाख डॉलर राजस्थान 18.29 लाख डॉलर उत्तर प्रदेश में 5.3 लाख डॉलर का नुकसान हुआ है।