कमर कस लीजिये. क्योंकि मैं अभी जो लिख रहा हूँ वह दुनिया का सबसे विवादित टॉपिक है और वह है – नेटवर्क मार्केटिंग बिज़नेस
अभी बहुत से लोग इसे बिना पढ़े ही दिमाग के घोड़े दौडाने शुरू कर देंगे और उनके दिमाग में यह प्रश्न उठेंगे:-
१. चेन मार्केटिंग सिस्टम.
२. लोगों को जोड़ना
३. घर घर जाकर सामान बेचना
४. सेल्समैन बनना
५. पोंज़ी स्कीम इत्यादि
मुझे कुछ-कुछ धुरंधर ऐसे भी मिलते हैं जो MBA हैं. (Mujhe Bahut Aata) है.
भारत में हर चीज़ का स्टीरियोटाइप मौजूद है, और यह इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं है. केवल इतना कहूँगा कि आपने यदि प्रश्न पूछा है तो निष्पक्ष होकर इस वक्तव्य को पढने और समझने की कोशिश करें.
परंपरागत बिज़नस मॉडल्स
सबसे पहले तो मैं परंपरागत बिज़नेस मॉडल्स के बारे में बात करता हूँ और जरा इसको गहराई से समझने की कोशिश करते हैं.
किसी भी बिज़नेस इन पाँच प्रमुख कारणों से चलता है:-
१. पैसा (कैपिटल इन्वेस्टमेंट ओर ऑपरेशनल कॉस्ट). इसे कैपेक्स और ओपेक्स भी कहा जाता है.
२. रिस्क (जब पैसा डाल रहे हैं, तो रिस्क अपने आप ही आएगा)
३. कम्पटीशन (जो कॉम्पिटिटर से कम और जिनको आप अपने बिज़नेस क्षेत्र में दोस्त समझते हैं, उन्ही से ज्यादा आएगा)
४. मेंटर से सलाह
५. बिज़नेस नेटवर्क बनाना
यदि इन पाँचों बातों पर गौर करें, तो क्या आप इन प्रश्नों का उत्तर दे पाएंगे?
१. क्या एक नौकरी करने वाले कर्मचारी के पास इतना पैसा होता है कि वह बिज़नस शुरू कर सके? क्या ईमानदारी से ऐसा करना मुमकिन है?
२. क्या इस पैसे को लगाने के बाद इसको ‘खो’ देने की हिम्मत है? रिस्क लेने की हिम्मत है?
३. क्या आप जिससे सलाह ले रहे हैं, वह आपका दोस्त है या कॉम्पिटिटर?
४. क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि काश कोई ऐसा व्यक्ति हो जो आपको रास्ता दिखा सके, जिससे आप गलती करने से बच सकें?
५. क्या आपके पास आपका प्रोडक्ट या सर्विस खरीदने वाले ग्राहकों का नेटवर्क हैं?
अधिकांश साधारण लोग या यह कहूँ ऐसे लोग जो पहली बार नौकरी से बिज़नस में आ रहे हैं, वह इन कारणों से बिज़नेस में आते हैं:-
१. और अधिक पैसे की लालच. (जो जॉब में नहीं मिल रही होती)
२. बॉस से परेशानी
३. कम समय में अधिक पैसा बनाना (कोरा में कई बार यह सवाल आपको मिलेगा)
जबकि बिज़नेस का असली वक्तव्य होता है – कि ऐसा उत्पाद, टेक्नोलॉजी या फिर सर्विस तैयार करना, जिससे किसी सामाजिक चुनौती से निपटा जा सके. वाशिंग मशीन इसलिए बनी क्योंकि हाथ से कपडे धोना घर में तकलीफ दायक था.
अधिकांश बिज़नेस में उतरने वाले उत्साही गलत प्रेरणा से उतरते हैं, और अधिक दूर तक नहीं जा पाते. वे शुरू आती दौर में शायद पैसा बना भी लें, पर जब अपने बिज़नेस को “अपस्केल” करने की बारी आती है, तो उनके लिए मुश्किल खड़ी हो जाती है, क्योंकि इसके लिए उनकी मानसिक तैयारी नहीं होती.
आपका सवाल मुझे बहुत अच्छा लगा – सही तरीके से.... इसी सही तरीके के लिए दो सबसे महत्वपूर्ण साधनों की ज़रूरत होती है, मेंटरशिप और नेटवर्क.
बिज़नेस शुरू करने वाले पहले तीन कारणों के बाद रुक जाते हैं – मेंटरशिप और नेटवर्क पर किसी का ध्यान नहीं होता.
आधुनिक बिज़नस मॉडल्स:-
क्या आपने इन बातों पर गौर किया है कभी:-
१. होटल और रेस्टोरेंट्स तो खाली हैं, पर खाना फिर भी घरों में पहुँच रहा है.
२. ऑटोमोबाइल क्षेत्र तो मार खा रहा है पर, टैक्सी लगातार बुक की जा रही हैं. आज कितने लोग ola /uber से दफ्तर गए होंगे?
३. किराने की दुकान पर भीड़ हो ना हो, पर घरों में किराने का सामान फिर भी पहुँच रहा है?
४. माल्स खाली हैं, लेकिन फिर भी लोग कपडे, जूते, किताबें, खिलौने, किताबें सब कुछ खरीद रहे हैं.
कैसे – केवल इन्टरनेट से – या फिर इन्टरनेट नेटवर्क से?
फेसबुक किसके नेटवर्क्स को अपने ऑनलाइन ऐड दिखाता है? अपने नेटवर्क को या आपके नेटवर्क को?
whatsapp किसके नेटवर्क पर कार्य करता है? अपने नेटवर्क पर या आपके फ़ोन कॉन्टेक्ट्स के नेटवर्क पर??
जिस बिज़नेस मॉडल को आप हाथ लगायेंगे, उठाकर देख सकते हैं – यह नेटवर्क बिज़नस है.
नेटवर्क मार्केटिंग बिज़नेस:-
जी हाँ, आप सही पढ़ रहे हैं. बिना जाने, बिना पढ़े मेरी भी वही सोच थी जो किसी की भी हो सकती है, खासकर भारत में.
जैसा की मैंने कहा था, भारत में हर चीज़ के लिए स्टीरियोटाइप मौजूद है – इस बिज़नस मॉडल के लिए भी है. रुकिए, कुछ और तथ्यों पर रौशनी डालता हूँ!
नेटवर्क मार्केटिंग बिज़नेस मॉडल है क्या?
१. पीपल्स बिज़नेस – यानी इसमें लोग होना अनिवार्य है – जहां लगभग सारे बिज़नेस मॉडल्स लोगों को मशीनों/ कंप्यूटर से बदल रहे हैं, वहां यह सामने से कह रहा है, कि लोग होने चाहिए. ऑटोमोबाइल सेक्टर अपना सारा काम मशीनों पर निर्धारित करने के बाद अधिक लोगों की कोई ज़रूरत नहीं होगी.
२. सीखने और गलती करने का अवसर – कौन सी नौकरी में आज आप गलती करके बच जायेंगे? आपके ऊपर तो लोग बैठे ही आपकी गलती के इंतज़ार में हैं. आपने गलती की, और आपका पत्ता कटा.
३. मेंटरशिप- यानी कोई आपको सिखाएगा भी. यदि कोई आपको कोई यह सिखाने वाला मिले, कि आप बिना अधिक गलतियों के अपने बिज़नेस को आगे ले जा सकें, तो कैसा रहेगा?
४. बिज़नेस लीडरशिप – एक ऐसा बिज़नेस मॉडल जो ना केवल आपको सकारात्मक तौर पर बदलता है, बल्कि आपके संपर्क में आने वाले तमाम अन्य लोगों में भी एक सकारात्मक बदलाव लाता है.
भारत में इसे क्या बना दिया गया है-
१. चेन बिज़नस
२. मेरे नीचे लोग जुड़ेंगे जो की काम करेंगे, मैं खाली बैठूँगा.
३. लोग जोड़ते जाओ, पैसे बनाते जाओ. (काम भी करना पड़ता है दोस्तों)
४. घर घर जा के सामान बेचने का काम
लोगों की गलती नहीं है. जब नौकरी के बाहर देखने को कोई और उपाय मिला ही नहीं तो कोई सोचेगा कैसे? आज से ३०-४० साल पहले लोग एक ही नौकरी से काम शुरू करते थे, और उसी नौकरी से रिटायर होते थे. क्या आज ऐसा है? कितने लोग आज भी वही नौकरी कर रहे हैं जो उन्होंने सबसे पहले शुरू की थी?
अपस्केलिंग बिज़नेस:-
Mc Donalds का नाम तो सभी को पता होगा.. आखिर हर सप्ताहांत में आप में से कोई ना कोई तो बर्गर खाने जाते ही होंगे??
कितने आउटलेट्स हैं Mc Donalds के भारत में – या फिर यह कहूँ, कि कितने “चेन्स” हैं, Mc Donalds के भारत में. इसके अलावा “चेन ऑफ़ रेस्टोरेंट्स”, “चेन ऑफ़ होटल्स” जैसे शब्द तो सुने ही होंगे आपने??
कितना पैसा लगेगा आपको अकेले यह सारा कुछ खड़ा करने के लिए. एक आदमी को खड़ा करने के लिए कितने पैसे लगते हैं?
क्या आपको लगता है कि केवल एक ही आउटलेट से Mc Donalds अपनी पूरी संपत्ति बना सकेगा? Mc Donalds के हज़ारों आउटलेट से हर शनिवार / रविवार को आपके और मेरे जैसे करोड़ों लोग कई करोड़ बर्गर खाते हैं. यानी Mc Donalds के बर्गर नेटवर्क से.
फेसबुक से करोड़ों लोग हर रोज़ करोड़ों का सामान ऑनलाइन आर्डर करते हैं. आप क्या बनाते हैं – लाइक्स??
एक नेटवर्क मार्केटिंग बिज़नस पहले ही दिन से सीधे अपस्केलिंग से शुरू करती है – यानी फ्रैंचाइज़ी बनाना! क्योंकि जब सब मिलकर कार्य करते हैं तभी एक प्रोग्रेसिव इकॉनमी (प्रगतिशील अर्थव्यवस्था) बनती है. एक ऐसा बिज़नेस जो बिना किसी कैपेक्स के शुरू किया जा सकता है.
सरल मायनों में यदि ५-६ साल तक सही तरीके से अपने स्वयं का बिज़नेस नेटवर्क बनाया जाए, तो आप सही तरीके से बिना किसी गलत रास्ते को अपनाए हुए अपना आर्थिक लक्ष्य पूरा कर सकते हैं.
यहाँ पर रेखांकित करने वाली बात है – सही तरीके से.. (भारत में सही तरीका नहीं, शॉर्टकट तरीका अधिक प्रचलित है)